वर्तमान प्रधानाचार्य
प्रातः स्मरणीय त्यागमूर्ति स्वामी त्यागानन्द सरस्वती व्दारा वर्ष 1925 के बसंत पंचमी की शुभ बेला मे संस्थापित श्री निश्शुल्क गुरूकुल महाविद्यालय अपने चिरगौरव को संजोये अहिऩ़़र्श प्रगति के पथ पर अग्रसर है । वेद आधारित शिक्षा का यह प्रगतिशील शिक्षा केन्द्र अपने स्थापना काल से ही वेद विद्या के प्रचार - प्रसार वैदिक धर्म की स्थापना एंव प्राचीन संस्कृति के संरक्षण के गुरूतर दायित्व का निर्वहन पूर्ण निष्ठा एंव सजगता से कर रहा है । जिसका ज्वलन्त उदाहरण देश के प्रत्येक क्षेत्र भू. भाग में व्रत एंव मित्र संज्ञक स्नातक न केवल शिक्षा, स्वास्थ्य एंव विज्ञान के क्षेत्र में वरन् देश के स्वाभिमान की रक्षा में अपने का उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत करने के क्षेत्र में वरन् देश के स्वाभिमान की रक्षा में अपने को उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत करते रहे है । सम्प्रति इस कुल में अध्ययनरत ब्रह्मचारी अपने प्राचीन वैभव की पुनर्स्थापना की ललक लिए वैदिक ग्रन्थो सहित ज्ञान - विज्ञान के आधुनिक साहित्य के अध्ययन से बौद्धिक श्रेष्ठता की उपलब्धि बड़ी सजगता से कर रहे हैं । गुरुकुल के क्रिया कलाप सहयोगियों के योगदान जन भावनाओं का यह पुष्प प्रस्तुत करने में गुरुकुल परिवार को गौरव की अनुभूति हो रही है । संस्थापक की यह वाटिका वैदिक धर्म - संस्कृति के उत्थान जन आकांक्षाओं के अनुरूप सुयोग्य स्नातकों के निर्माण एवं अपने उच्च आदर्शों की स्थापना में निरंतर विकास परिपथ पर गतिशील बनी रहे जिससे समस्त मानव कल्याण के प्रति संस्था का चिन्तन चिर स्थायित्व को प्राप्त हो सके । इसी सद्भावना के साथ -
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद दुःख भाग भवेत् ।।
पूर्व प्रधानाचार्य