श्री निशुल्क गुरुकुल महाविद्यालय
(सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से "क-वर्ग" प्रथम श्रेणी में मान्यता प्राप्त)
Courses
पाठय व्यवस्था
गुरुकुलीय शिक्षा विभाग में: १. माध्यमिक विद्यालय, २. महाविद्यालय,
३. उपदेशक विद्यालय संचालित होते हैं।
माध्यमिक विद्यालय में १ से १२ तक श्रेणियां हैं। जिनकी समाप्ति पर छात्र को "मेधावी"
उपाधि प्रदान की जायेगी। इस परीक्षा का स्तर बोर्ड की इण्टरमीडिण्ट और उत्तर मध्यमा परीक्षा
का है।
इस विद्यालय में निम्नांकित विषयों का अध्यापन होता है। सं0 व्याकरण, सं0 साहित्य,
हिन्दी, धर्म शिक्षा, गणित, इतिहास, भूगोल, नागरिक शास्त्र, इंगलिश, प्राच्य दर्शन,
अर्थशास्त्र, स्वास्थ्य विज्ञान, कृषि विज्ञान, कम्प्यूटर शिक्षा आदि।
महाविद्यालय विभाग का शिक्षाकाल ५ वर्षों का है- इसकी समाप्ति पर छात्र विषयानुसार
१. विद्यावारिधि, २. विद्यावागीश, ३. विद्यामार्तण्ड उपाधि से विभूषित किया जायेगा।
इस विद्यालय में छात्रों को निम्नांकित मुख्य तथा वैकल्पिक विषय पढना होगा। १. अनिवार्य धर्मशिक्षा, २. चारों ऋग्वेद (विद्यावारिधि), अथर्ववेद (विद्या मार्तण्ड), समावेद
(विद्यावागीश), दर्शन साहित्य, व्याकरण ज्योतिष, पुराणेतिहास, हिन्दी, साधारण आयुर्वेद,
इतिहास, इंगलिशा इस विद्यालय का पाठ्यस्तर संस्कृत में आचार्य और अन्य विषयों में
एम0ए0 परीक्षा का होता है।
उपदेश विद्यालय में वयस्क किन्तु अविवाहित सदाचारी मिडिल या हाईस्कूल उर्तीण छात्र
प्रविष्ट होते हैं। इसका शिक्षा काल ५ वर्षों का है। इसकी समाप्ति पर १. सिद्धान्त वाचस्पति, २. व्याख्यान वाचस्पति की उपाधि प्रदान की जाती है।
अनध्याय
१. साधारणत: प्रति अष्टमी और प्रतिपदा को अनध्याय हुआ करेगा। नौमित्तिक अनध्याय
परम्परागत जातीय राष्ट्रीय और सामाजिक पर्यों पर होते हैं। इनकी सूची पृथक से
प्रकाशित होती है। अनध्याय में ब्रह्मचारी गुरुकुल में ही रहकर पूर्व गठित विषयों का
अभ्यास करेंगे।
२. २१ मई से ३० जून तक सत्रान्तरावकाश होगा तथा संरक्षकों के तत्वाधान में सांस्कृतिक
कार्यक्रमों और भ्रमण आदि में ब्रह्मचारी के अवकाश का सदुपयोग कराया जायेगा।
विशेष ज्ञातव्य -
१. यहाँ गुरुकुलीय परीक्षाओं के अतिरिक्त सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से
शास्त्री एवं आचार्य तथा प्रथमा से 30मा0 तक की मान्यता उ0प्र0 माध्यमिक संस्कृत
शिक्षा परिषद लखनऊ से है।
२. आचार्य परीक्षा उत्तीर्ण छात्रों को विद्यावारिधि शास्त्री परीक्षा उत्तीर्ण छात्रों को विद्यावागीश एवं उत्तर मध्यमा उर्तीण छात्रों को विद्यामार्तण्ड की उपाधि प्रदान की जाती है।